

State Government क्या CRPC के अनुसार 14 वर्ष की सजा काट चुके कैदी को रिहा करने की शक्ति प्राप्त है। और इसके लिए क्या – क्या कानूनी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।
Supreme Court on CRPC में शीर्ष अदालत ( Court ) की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ की ओर से दिए गए 12 मई 2020 के फैसले ( Order ) को रद्द कर दिया है। और सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार ( State Government ) द्वारा कैदियों को रिहा करने की शक्ति ( Power ) पर हरियाणा की 13 अगस्त 2008 की नीति को बरकरार रखते हुए कहा कि यह सीआरपीसी ( CRPC ) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग ( Use ) करते हुए और पहले के आदेश ( Order ) के अधिक्रमण में जारी किया गया था.
Supreme Court on CRPC में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से जेलों ( Jail ) में बंद कैदियों को लेकर एक अहम टिप्पणी की है. और कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ( State Government ) के पास CRPC (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) के अनुसार अधिकतम सजा के रूप में मौत ( Death ) की सजा निर्धारित करने वाले अपराधों ( Victim ) के लिए दोषी ठहराए जाने के मामलों में 14 वर्ष की जेल की सजा काटने के बाद कैदी को छोड़ने का अधिकार है.
अदालत ने एक फैसला पर टिप्पड़ी करते हुए कहा
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, न्यायाधीश ( Judge ) हेमंत गुप्ता व एएस बोपन्ना की पीठ ने एक फैसले में यह टिप्पणी की. हालांकि, व अदालत ने कहा कि अगर कैदी ( Prisoner ) ने 14 साल या वास्तविक सजा पूरी नहीं की है
तो उस सिचुएशन में राज्यपाल ( Governor ) के पास संविधान के अनुच्छेद – 161 के अनुसार क्षमा, व राहत, व सजा की छूट या सहायता, व सजा को निलंबित करने, या फिर हटाने या कम करने की शक्ति है. और राज्य सरकार ( State Government ) और यह प्राधिकरण सीआरपीसी ( CRPC ) के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को हटा देता है.
State Government News – वहीँ हालांकि, कोर्ट ( Court ) ने यह भी कहा कि अगर कोई अपराधी वास्तविक सजा से 14 वर्ष या उससे अधिक समय तक जेल में नहीं रहा है तो संविधान ( Constitiouns ) के अनुच्छेद – 161 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार ( Rights ) है कि वह राज्य सरकार ( State Government ) की सलाह पर उसकी सजा को माफ कर सकते हैं, व राहत दे सकते हैं या फिर सजा को निलंबित ( Suspend ) कर सकते हैं. और सीआरपीसी ( CRPC ) के तहत लागू प्रतिबंध भी इसके रास्ते में नहीं आएंगे.
High Court के फैसले को किया रद्द
और इसके साथ ही शीर्ष अदालत ( Court ) की पीठ ने Panjab और हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश ( Judge ) पीठ की ओर से दिए गए 12 मई 2020 के फैसले को कैंसिल कर दिया.
और सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार ( State Government ) द्वारा कैदियों को रिहा करने की शक्ति ( Power ) पर हरियाणा की 13 अगस्त 2008 की नीति को बरकरार रखते हुए कहा कि यह सीआरपीसी ( CRPC ) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग ( Use ) करते हुए और पहले के आदेश ( Order ) के अधिक्रमण में जारी किया गया था.
CrPC को हिन्दी में Code of Criminal Procedure या दण्ड प्रक्रिया संहिता कहते है. और यह Kanoon सन 1973 में पारित हुआ था। और दिनांक – 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था. और किसी भी प्रकार के अपराध ( Crime ) होने के बाद दो प्रकार की प्रक्रियाएं होती हैं और जिसे पुलिस ( Police ) किसी अपराधी की जांच करने के लिए अपनाती है.
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State Government – एक यह की प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में व दूसरी आरोपी के संबंध ( Relations ) में होती है. और इन्हीं प्रक्रियाओं के बारे में सी आर पी सी में बताया गया है. और दण्ड प्रक्रिया संहिता को मशीनरी ( Mashin ) के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है और जो एक मुख्य आपराधिक कानून (IPC) के लिए एक तंत्र प्रदान करता है.
वकील साहब , राज्य सरकार किन धाराओं का प्रयोग करती है।
State Government – राज्य सीआरपीसी ( CRPC ) की धारा – 432 और – 433 के अनुसार सजा बदल सकते हैं, और हालांकि उम्र कैद के मामलों ( Case ) में यह तभी संभव है, जब वह अपराधी ( Victim ) कम से कम 14 वर्ष की सजा काट चुका हो। और गृह सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य दंड समीक्षा बोर्ड मामलों ( Case ) की समीक्षा करता है और यदि वह कैदी दिए गए मानकों के अनुरूप पाए जाते हैं तो वह सरकार ( Government ) से उनकी जल्द रिहाई की अनुशंसा की जाती है।
इस पूरे प्रावधान में क्या – क्या प्रक्रियाएं शामिल होती है
एक कैदी को चाहिए की वह State Government के राजयपाल को पत्र लिखकर या परिवार के सदस्यों द्वारा कार्यालय में सूचना प्रदान करें। और अपने Case से सम्बन्धित विवरण दे। और वह क्या राहत प्राप्त करना चाहता है। इस बात को भी मैंशन करें। आप गृह मंत्रालय को भी इस बारे में लिख सकते है।
1. अपराध की जांच करना (What Investigation of crime)
2. संदिग्धों के प्रति व्यवहार (What Treatment of the suspects)
3. साक्ष्य की संग्रह प्रक्रिया (What Evidence collection process)
4. यह भी निर्धारित करना कि अपराधी ( Victim ) दोषी है या नहीं
IPC और CRPC में क्या अन्तर है।
कानूनी ( Kanooni ) भाषा में दोनों ही कोड को समझने के लिए भाषा जटिल है, और लेकिन आसान शब्दों ( Word ) में कहें तो IPC अपराध ( Crime ) की परिभाषा तय करती है और दण्ड का प्रावधान कानून बताती है. और इसके लिए कहा जाता है कि
‘it defines offences and provides punishment for it’.और यह विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को सूचीबद्ध सारणी करता है. और वहीं CrPC आपराधिक मामले के लिए किए गए कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में बताती है. और इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत ( Strong ) करना है.