

Jahangirpuri Violence News – जूस दुकान के मालिक ने जूस की दुकान को तोड़े जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिसमे उसने प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।
Jahangirpuri Violence – Delhi के जहांगीरपुरी इलाके के जूस की Shop के मालिक ने बुधवार को New Delhi नगर निगम द्वारा उसकी Shop को अनधिकृत रूप से तोड़ने का दावा करते हुए (Supreme Court) का रुख किया है। यह गौरतलब है
कि जस्टिस नागेश्वर राव की सुनवाई वाली पीठ ने उक्त विध्वंस अभियान के खिलाफ दावा याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह वहाँ के मेयर को यथास्थिति आदेश के बारे में Information दिए जाने के बाद हुए विध्वंस पर गंभीर विचार करेगी।
Jahangirpuri Violence – पीठ ने ने कहा जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा विभिन्न राज्यों में अधिकारियों ( Officer ) के खिलाफ दायर एक अन्य याचिका पर भारत संघ V/S मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश V/S गुजरात राज्यों को नोटिस जारी किया, और जिसमें अपराधों में आरोपीत व्यक्तियों के घरों को नस्ट करने का सहारा लिया गया था।
और इस बीच, इसे अगले Order तक यथास्थिति के आदेश तक बढ़ा दिया गया है।
Jahangirpuri Violence in Hindi – याचिकाकर्ता जिसका नाम गणेश गुप्ता का दावा है कि उन्हें डीडीए ( D.D.A ) द्वारा वर्ष 1977-78 में यह दुकान आवंटित की गई थी और उस समय अवधि से वह नियमित रूप से जो आवश्यक शुल्क व करों का भुगतान कर रहे हैं।
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जो उन्होंने विध्वंस के दिन, सभी आवश्यक दस्तावेज दिखाने की कोशिश की, BUT उनके अनुरोधों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और उसकी दुकान मालिक की दुकान तोड़ दी गई।
Jahangirpuri Violence – गणेश गुप्ता अब एनडीएमसी और उसके अधिकारियों ( Officer ) को कोई भी विध्वंस कार्रवाई करने से रोकना चाहते हैं, और जिसे वह कानून के विपरीत बताया गया है और एक विशेष समुदाय के प्रति द्वेष या दुर्भावना से प्रेरित किया जाना बताया गया है। उन्होंने अपने पुरे नुकसान की भरपाई की भी मांग की है।
यह याचिका Advocate – अनस तनवीर के माध्यम से दायर की गई है।
Jahangirpuri Violence – यह भी आरोप लगाया गया है कि एनडीएमसी ( D.A.M.C ) का विध्वंस अभियान “सांप्रदायिकता के रूप से प्रेरित” है, क्योंकि नगर निगम वर्तमान में अतिक्रमण के 3,000 से ज्यादा लंबित मामलों को कब्ज़ा कर चुका है
और फिर भी जहांगीरपुरी ( Jahangirpuri ) में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के कुछ समय बाद ही “यह अनावश्यक जल्दबाजी में, और पूरी तरह से बंद करने के लिए अपने विध्वंस अभ्यास का इस प्रकार का तरीका करने के लिए चुना है।
याचिकाकर्ता की और से याचिका में दावा किया गया है कि यह विध्वंस अभियान पूरी तरह से Kanoon के प्रावधानों, व दिल्ली नगर निगम अधिनियम – 1957 की Section – 343, व 347 बी और 368 के विपरीत था।
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Jahangirpuri Violence – और यह विशेष रूप से, अधिनियम की Section – 343 और Section – 368 के दोनों प्रावधान यह प्रदान करते हैं कि घटना से प्रभावित व्यक्ति को यह कारण बताने का अवसर प्रदान किया जाता है कि यह विध्वंस का आदेश ( Order ) क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
यह की इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिनियम Act के उक्त प्रावधानों के विपरीत, एनडीएमसी ( D.M.C ) ने 20.04.2022 को अपना विध्वंस कार्य शुरू करने से पहले कोई प्रभावित निवासियों को कारण बताओ नोटिस ( Notice ) भी जारी नहीं किया।
Jahangirpuri Violence – इसके अतिरिक्त यह भी आरोप लगाया गया है कि विध्वंस अभियान के कार्यक्रम दौरान ( NDMC ) एनडीएमसी ने स्ट्रीट वेंडर (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम Act – 2014 के उल्लंघन में Some स्ट्रीट वेंडरों के स्टॉल भी हटा दिए, जो वह रेहड़ी-पटरी वालों को बेदखली व स्थानांतरण से सुरक्षा प्रदान करता है।