

Decree – डिक्री यह न्यायलय की भाषा में जाना पहचाना शब्द है। जिसकी परिभाषा सी0 पी0 सी0 के Section – 2 ( 2 ) में दी गई है। डिक्री और आदेश में अन्तर होता है। आपको इस विषय की जानकारी होनी चाहिए।
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- 1 Decree – डिक्री यह न्यायलय की भाषा में जाना पहचाना शब्द है। जिसकी परिभाषा सी0 पी0 सी0 के Section – 2 ( 2 ) में दी गई है। डिक्री और आदेश में अन्तर होता है। आपको इस विषय की जानकारी होनी चाहिए।
- 2 डिक्री क्या है। ? – What is a Decree
- 3 What is Types of Decree – डिक्री के प्रकार
- 4 डिक्री होल्डर क्या होता है – Decree Holder in CPC
- 5 जजमेंट क्या होता है। – What is a Judgement
Decree in Hindi – सिविल न्यायलय द्वारा दी गई किसी भी डिक्री के लिए अक्सर पक्षकारो में एक दुविधा होती है। यह हमारा अन्तिम निर्णय तो नहीं है। और इस दुविधा में हम कई सारी गलतियां कर जाते है। कम पढ़े लिखे लोगों के लिए यह कस्टदायक होता है। क्योकि उन्हें किसी भी बात की सही जानकारी नहीं होती है।
Decree in Hindi – Judgement , Decree , और Order यह तीनों वाक्य Civil मामले से सम्बंधित है। इस प्रकार के तीनों शब्दों का यूज़ सिविल न्यायलय में किया जाता है। दीवानी वाद पक्षकारों को खुद चलाना होता है। कोई भी दीवानी मामला फौजदारी मामले की तरह जनपदीय अर्धात स्टेट लेवल पर नहीं चलाया जाता है। वास्तव में इसे वाद पक्षकार खुद चलाते है। न्यायलय इस प्रकार के विवादों को सुनती है और ऐसे विवादित मामलो पर समय दर समय आर्डर पास करती है। वह एक जजमैंट के साथ एक डिक्री ( Decree ) भी पारित करती है।
डिक्री क्या है। ? – What is a Decree
Decree – डिक्री की परिभाषा CPC में धारा – 2 ( 2 ) में दी गई है। डिक्री शब्द से आशय किन्ही दो पक्षकारों का दीवानी मामलों का अभिकथन का सारांश इस प्रकार किया जाता है। की उस मामले के निर्धारण के लिए पूरे फाइल की समीक्षा करने की जरुरत नहीं पड़ती है। और इसके बाद आगे की कानूनी कार्यवाही के पश्चात् निर्णय प्रदान किया जाता है।
Know the Law Decree – किसी भी Civil Case को माननीय न्यायलय के समक्ष सुचारु रूप से चलाए जाने की एक बड़ी कानूनी प्रक्रिया होती है। सबसे पहले वादी एक आवेदन कोर्ट में जमा कर अपनी समस्या के समाधान के लिए अपील करता है। इस कानूनी कार्यवाही पर न्यायलय प्रतिवादी पक्षकार को न्यायलय में हाजिर कर जवाब मांगती है।
Law Study Notes Decree – प्रतिवादी पक्षकार अदालत में अपने वकील द्वारा जो भी उत्तर प्रस्तुत करता है उन्हें देखने और समझने के बाद एक इशू ( Issue ) बना देती है। और इन कारणों से सम्बन्धित मुकदमा चलता है। तथा वादी व प्रतिवादी दोनों को ही न्यायलय के समक्ष सत्य सबूत ( Evidence ) पेश करने होते है। और जिनके एविडेन्स स्ट्रॉन्ग होते है। न्यायलय का झुकाव भी उसी ओर अधिक होता है।
What is Types of Decree – डिक्री के प्रकार
डिक्री प्रमुख रूप से तीन प्रकार की होती है। जो निम्नलिखित होती है।
- Elementary Decree – प्रथम श्रेणी की डिक्री – C.P.C के Section – 2 ( 2 ) के अनुसार प्रथम श्रेणी की डिक्री वह डिक्री होती है। जो अपनी प्रारंभिक अवस्था में केंद्रित हो चुकी है। आप इसको इस प्रकार भी समझ सकते है। जैसे – किसी मुक़दमे के पूर्ण रूप से निपटाने से पहले आगे की ओर कानूनी कार्यवाही की जाती है। ऐसे समय में कोर्ट प्रथम अवस्था की डिक्री पास करती है। कोर्ट प्रथम अवस्था की डिक्री के अनुसार विवादग्रस्त विषयों में से कुछ विषयों के सम्बन्ध में वादी व प्रतिवादी के अधिकारों का निर्धारण करती है। BUT सभी विषयों के अधिकारों का निर्धारण नहीं किया जाता है। इसका मतलब यह नहीं होता है की केस का फैसला हो गया है। लेकिन केस को सरल जानने के लिए मुख्य बिंदु पर केन्द्रित कर दिया जाता है।
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प्रथम अवस्था डिक्री कोर्ट द्वारा निम्नलिखित Rights के निर्धारण के लिए Pass की जा सकेगी , Exp –
1 – Law Decree Information – जहाँ मुकदमा किसी एक फर्म की साझा भागीदारी के अलग होने या भागीदारी से सम्बंधित लेखबद्ध मामलों के लिए अदालत में आता है। वहाँ पर कोर्ट द्वारा अन्तिम डिक्री पास करने से पहले प्रथम श्रेणी डिक्री लागू कर सकेगा जिसमें सभी पक्षकारों की भूमिका व अंश निर्धारित करती है या कर सकती है।
2 – Study Notes for Knowledge – मालिक व अभिकर्ता के बीच लेखा के लिए लाए गए मुक़दमे में अन्तिम डिक्री को Pass करने से पहले प्रथम श्रेणी की डिक्री लागू कर सकेगा जिसमें नियम सहित लेखाओ के दिए जाने का निदेश शामिल होगा। जिनको लिया जाना वह विवेकपूर्ण ठीक समझे |
3 – संपत्ति के बटवारें के लिए या उनमे हिस्सेदारों के अंश के लिए पृथक कब्जे के लिए मुकदमे में प्राथमिक डिक्री पारित कर सकेगी |
- Final Decree – अन्तिम श्रेणी की डिक्री – अन्तिम डिक्री वह डिक्री कहलाती है। जिसमें केस को पूरी तरह से निपटा देती है। अदालत के सामने प्रस्तुत केस से सम्बन्धित विवादग्रस्त तथ्यों का सोलुशन पूर्ण व अन्तिम प्रक्रिया के तहत कर दिया जाता है। और उसके बाद केस में कोई कानूनी कार्यवाही नहीं रह जाती है। एक विशेष बात यह भी है की जरुरी नहीं की अन्तिम डिक्री पास करने के लिए प्रारम्भिक अवस्था डिक्री पास की जाए।
किसी अन्य मामले में प्रथम डिक्री पास हो जाए तो अन्तिम डिक्री प्रथम डिक्री दिशा – निर्देशों के अनुसार पास की जा सकती है। जिससे यह ज्ञान रहता है की अन्तिम डिक्री प्रथम डिक्री के अकोर्डिंग निर्भर है। किसी भी अपील में यदि प्रथम श्रेणी डिक्री कैंसिल कर दी जाती है तो अन्तिम डिक्री शून्य डिक्री में बदल जाती है।
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- Fragmental Decree – आंशिक डिक्री – आंशिक डिक्री वह डिक्री होती है। जिसमे केस से सम्बन्धित कानूनी कार्यवाही पूर्ण होने में या विचारण तथ्य में रख दी जाती है। ऐसे में कोर्ट केस की आख्या हेतु मौखिक आंशिक डिक्री पास कर देती है।
सबूतों की जांच करने के बाद अदालत उसमे अपना निष्कर्ष देती है। और ऐसे निर्णय पर जजमेंट को लिखकर पेश किया जाता है। और जजमेंट के साथ एक डिक्री इन्कलूड होती है। जो वादी / प्रतिवादी के अधिकारों को स्पस्ट करती है। अर्थात वाद सुनवाई से जो निष्कर्ष मिला उसके आधार पर कोर्ट कम शब्दों का प्रयोग कर जजमेंट का सार लिख देती है। और सभी पक्षकारों के Rights को निश्चित करती है।
डिक्री होल्डर क्या होता है – Decree Holder in CPC
सिविल प्रक्रिया सहिंता के Section – 2 ( 3 ) में डिक्री होल्डर को परिभाषित किया गया है। इसके अंतर्गत डिक्री होल्डर एक धारक पर्सन होता है। जिसके हित में कोर्ट द्वारा डिक्री पास कर दी जाती है। या फिर ऐसा आर्डर जो निष्पादन योग्य है। व नाम वाद अभिलेख में दर्ज है।
जजमेंट क्या होता है। – What is a Judgement
Decree in Hindi – Judgement किसी भी विवाद के सबूतों पर न्यायलय का एक विस्तार पूर्वक परिणाम होता है। यह किसी भी मामले के तथ्यों का आये हुए साक्ष्यों का सूक्ष्म रूप से जांच कर प्रस्तुत करता है। Exp – किसी घर पर कोई मुकदमा किसी पक्षकार द्वारा किया जाता है। और न्यायलय के सम्मुख यह वाद पेश किया गया है। की वह अमुख घर उसका है और संपत्ति पर किसी व्यक्ति ने कब्ज़ा कर लिया है। तब माननीय अदालत विवादग्रस्त सभी तथ्यों को देखती है।
Law Study Notes – अदालत जांच टीम गठित कर यह देखती है की असलियत में यह घर है और उस प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा हुआ है तो किसका फिर अदालत उसे हाजिर कर उस प्रॉपर्टी से सम्बन्धित क्या दस्तावेज है और वह प्रॉपर्टी से सम्बन्धित पेपर की अदालत जांच करता है।
इस प्रकार जांच व अवलोकन के बाद एक जजमेंट लिखा जाता है। और मुक़दमे की हर स्थिति व परस्थिति को शॉर्ट में करके जजमेंट पास किया जाता है इसके बावजूद वह किसी भी पक्षकारो के अधिकार व ड्यूटी को चिन्हित नहीं करता है।