

Motor Accident Claims Tribunal – किसी भी व्यक्ति की रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है। परिवार के सदस्य कैसे कोर्ट से मुआवजा प्राप्त करें। मुआवजा लेने के लिय किन आधारों को चुनें।
Contents
- 1 Motor Accident Claims Tribunal – किसी भी व्यक्ति की रोड एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है। परिवार के सदस्य कैसे कोर्ट से मुआवजा प्राप्त करें। मुआवजा लेने के लिय किन आधारों को चुनें।
- 2 MACT Full Form क्या है।
- 3 Motor Vehicle Act – 1988 के अनुसार मुआवजे के प्रावधान
- 4 प्रश्नः – वकील साहब , रोड एक्सीडेंट में मुआवजा प्राप्त करने के लिए किन धाराओं का प्रयोग करें।
- 5 प्रश्नः – वकील साहब , पुलिस रोड एक्सीडेंट में IPC की किन धाराओं में FIR दर्ज करती है।
Motor Accident Claims Tribunal – मोटर वाहन दुर्घटना केस में मुआवजा पैट्रॉल व डीजल चलित वाहनों से हुई दुर्घटना मान्य है। साईकिल व बैटरी चलित वाहन इसमें शामिल नहीं होते है। सामान्य भाषा में अर्थ – की मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार उस व्हीकल को एक नंबर प्राप्त हो व खरीदने से लेकर रोड पर चलाने तक सभी शर्तो को पूरा किया गया हो।
MACT मोटर वाहन दुर्घटना केस में मुआवजा लेना आसान हो गया है। कोर्ट ने इसकी जटिल प्रक्रियाओं कम किया है।
MACT Full Form क्या है।
Motor Accidents Claims Tribunal और हिन्दी में मोटर दावा अधिकरण के नाम से जाना जाता है। BUT अधिकांश लोग मोटर दुर्घटना केस में मुआवजा शब्द को प्रयोग करते है।
मोटर व्हीकल एक्ट – 1988 को संसद में बिल पास कर ( संशोधन – 2019 ) की मंजूरी मिल गई है। बिल पास होने से पीड़ित व्यक्ति / परिवार को अधिक लाभ प्राप्त करना है
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Motor Accident Claims Tribunal – घायल व्यक्ति को या साथ में अन्य सदस्य को पुलिस में सूचना प्रदान करनी चाहिए। आप पुलिस को ( 112 नंबर ) पर भी कॉल कर सूचित कर सकते है। व दोषी व्यक्ति की गाड़ी नंबर सहित ( FIR रजिस्टर्ड होने पर ) मुआवजा प्राप्त करने हेतू कोर्ट में केस फाइल करे। कुछ राज्यों में पुलिस अपने आप ही शिकायत दर्ज कर MACT कोर्ट में केस पहुँचा देती है।
Motor Vehicle Act – 1988 के अनुसार मुआवजे के प्रावधान
Motor Accident Claims Tribunal – हाईकोर्ट वकील , Advocate श्रीवास्तव जी से इस विषय बातचीत हुई है। वह ट्रैफिक एक्ट के स्पेशलिस्ट है। श्रीवास्तव जी ने कहा – की मोटर व्हीकल ACT के SECTION – 165 में प्रावधान है की राज्य सरकार प्रत्येक जिले में रोड एक्सीडेंट से सम्बंधित पीड़ित की सुनवाई करें व त्वरित लाभ प्रदान करें।
हिट एंड रन मामले क्या होते है।
हिट एंड रन मामलें से आशय उस घटना के घटित वक्तव्य से लिया जाता है जिसमें एक्सीडेंट करने वाला ड्राईवर भाग जाता है। और गाड़ी का नंबर व गाड़ी से सम्बंधित अन्य जानकारी नहीं मिल पाती है।
हिट एंड रन मामलें के उपाय
Motor Accident Claims Tribunal – मोटर व्हीकल ACT – 163 के अनुसार ऐसे मामलों के लिए ( सोलेशियम फण्ड ) का निर्माण किया गया है। हाई कोर्ट अधिवक्ता – V.K श्रीवास्तव ने कहा – ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष के परिजनों को व्यक्ति की मृत्यु होने पर ( दो लाख रूपए ) व घायल होने की स्थिति में ( पचास हजार रूपए ) मुआवजा मिलने का प्रावधान है।
आप इस कार्य का मुआवजा प्राप्त करने के लिए ( D.M कार्यालय ) में आवेदन कर सकते है। आपकी घटना सत्य है। आपको जाँच के बाद मुआवजा मिल जाएगा।
M.R कृष्णा मूर्ति V/S न्यू इंडिया इंसोरेंस कम्पनी L.M.D के वाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोड एक्सीडेंट की रिपोर्ट पेश की गई थी। जिसमें कहा गया की हर वर्ष 1 लाख से लेकर 50 हजार लोग सड़क हादसे का शिकार होते है और जानकारी न होने के आभाव में 10 % लोग ही लाभ प्राप्त कर पाते है।
गोल्डन ऑवर ( Timer ) क्या है।
Motor Accident Claims Tribunal – किसी व्यक्ति गम्भीर अवस्था की चोट लगती है। और दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का शुरू के ( 1 घंटा ) का इलाज मुफ्त किया जाता है। इस उपचार में मरीज के बचने की उम्मीद अधिक होती है। और इस टाइम पीरियड को ही गोल्डन ऑवर के नाम से जाना जाता है।
प्रश्नः – वकील साहब , रोड एक्सीडेंट में मुआवजा प्राप्त करने के लिए किन धाराओं का प्रयोग करें।
Motor Accident Claims Tribunal – आप सेशन जज कोर्ट में धारा – 166 व धारा – 140 में केस फाइल करवा सकते है। व आप केस में गाड़ी चलाने वाले ड्राईवर को पहला दोषी बनाए व दूसरे नंबर पर आप गाड़ी के मालिक को दोषी बनाए और तीसरे नंबर पर आप इंश्योरंस कम्पनी को दोषी बनाए। इस प्रकार आपको केस जितने में सहायता प्राप्त होगी।
मुआवजा प्राप्त करने के लिए दावा कौन कर सकता है।
1 👉 वह व्यक्ति जो स्वयं दुर्घटनाग्रस्त हो।
2 👉 दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के वैधानिक उत्तराधिकारी।
3 👉 दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की ओर से कोई अभिकर्त्ता।
प्रश्नः – वकील साहब , पुलिस रोड एक्सीडेंट में IPC की किन धाराओं में FIR दर्ज करती है।
उत्तर – Motor Accident Claims Tribunal – पुलिस को किसी भी घटना की जानकारी मिलती है। वह उसकी जाँच करती है। और वह अपनी इन्वस्टिगेशन के अनुसार धाराओं को शामिल करती है। हम आपको सड़क हादसे में शामिल अति महत्वपूर्ण धाराओं से सम्बंधित जानकारी प्रदान कर रहे है।
Motor Accident Claims Tribunal – IPC SECTION – 279 कहती है 👉 जो कोई व्यक्ति उतावलेपन / हाँकना वाहन चलाएगा जिसमे किसी मनुष्य – जीवन को हानि होना सम्भाव्य है। वह दोनों में से किसी भांति के दंड से अभिनिर्धारित होगा। जिसमे ( 6 महीने की जेल ) या ( एक हजार रूपए ) के दण्ड से निर्धारित होगा या दोनों से कारित होगा।
Motor Accident Claims Tribunal – IPC SECTION – 304 ( क ) 👉 कहती है। जो कोई उतावलेपन / उपेक्षापूर्ण तरीके से किसी व्यक्ति की मृत्यु करेगा वह ( 2 वर्ष की जेल ) या दंड या दोनों से दण्डित होगा।
यह धारा उन गंभीर चोटों जिनमें किसी मनुष्य की मृत्यु होना सम्भाव्य होता है। सरल शब्दों में हम समझ सकते है की – जहां मृत्यु बिना किसी आशय पूर्वक कारित की जाती है।
अतः इस धारा में किया गया कार्य आपराधिक प्रकृति का नहीं होता है। और इस प्रकार का कार्य शुरू से ही आपराधिक प्रवर्ति का होता तब यह धारा लागू नहीं होती है।
IPC SECTION – 337 👉 कहती है। जो कोई व्यक्ति उतावलेपन / हाँकना से गाड़ी चलाते हुए नुकसान करेगा। जैसे – पैर में फैक्चर होना , सिर पर गम्भीर चोट आना , आदि इस धारा में आपको ( 6 महीने ) की सजा का प्रावधान है।
इस धारा के प्रयोग करने का मुख्य उद्देश्य इसमें वाहन द्वारा हानि को दर्शाया जाता है। सम्पत्ति या शरीर को हानि होने पर ही यह धारा प्रयोग में लाई जाती है।
Motor Accident Claims Tribunal – IPC SECTION – 338 कहती है। 👉 जो कोई वयक्ति इस प्रकार वाहन चलाएगा जिससे मृत्यु कारित संकट उत्पन हो जाए व इस प्रकार के किसी भी कार्य के लिए धारा का प्रयोग किया जाता है। इस धारा के प्रयोग में ( 2 साल की सजा ) या ( 1 हजार रूपए जुर्माना ) या दोनों से दण्डित होगा
निष्कर्ष
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जय हिन्द जय भारत