
ड्राइवर भोपाल सिंह अपनी पत्नी व बेटे के साथ

Muzaffarnagar News -16 वर्ष कोर्ट के चक्कर और 560 दिन की जेल मुजफ्फरनगर ( Muzaffarnagar ) के बुजुर्ग को हत्या के झूठे मुकदमे में से अब मिला न्याय , समय की मार से बेटा बेरोजगार, और पत्नी को हैमरेज
Muzaffarnagar News – व्यवस्था की ऐसी विडंबना देखिए कि मुजफ्फरनगर के 70 वर्ष के बुजुर्ग ड्राइवर भोपाल शर्मा को 16 वर्ष कोर्ट ( Court ) के चक्कर काटने पड़े। और कत्ल के झूठे इल्जाम या आरोप में 560 दिन जेल में रहना पड़ा। और इस दौरान मुक़दमे की पैरवी करते-करते बेटे की नौकरी छूट गई। और तनाव में पत्नी को ब्रेन हेमरेज , दिमागी बीमारी हो गई । और कोर्ट-कचहरी ( Adalat ) के चक्कर काटते-काटते सारी कमाई ( Money ) खर्च हो गई। Court ने बरी किया, तो न्याय में कुछ विश्वास जगा। और हालांकि, यह हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया।
Muzaffarnagar – 20 जनवरी साल 2006 को इंद्रा कॉलोनी निवासी शरमानंद शर्मा ने थाना सिविल लाइन ( Police Station ) में सूचना दी कि उनके ट्रक का ड्राइवर ( Driver ) राकेश मृत पड़ा है। और उन्होंने इस बात की आशंका जताई कि शायद ज्यादा शराब ( Wine ) पीने से उसकी मौत हो गई। और पुलिस ने राकेश ( Rakesh ) की मौत को प्राकृतिक न मानते हुए एक्सीडेंटल माना। और इस मामले में मृतक के भाई विनोद ( Vinod ) ने ट्रक मालिक शरमानंद शर्मा और उसके पुत्र अमित पर पीट-पीटकर हत्या ( Murdar ) करने का आरोप लगाया।
इस मामले की जांच के दौरान शरमानंद के दूसरे ड्राइवर ( Driver ) भोपाल शर्मा को भी पुलिस ने आरोपी बना दिया। और वह घेरखत्ती नई मंडी कोतवाली ( Kotwali ) हाल निवासी गांव साखन जिला सहारनपुर का रहने वाला था। और वर्ष 2009 में मुकदमे को हत्या की धाराओं ( Section ) में बदल दिया गया
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भगोड़ा घोषित कर भेज दिया गया जेल
Muzaffarnagar News in Hindi – मुकदमे की सुनवाई के समय आरोपी ( Aropi ) शरमानंद की मौत हो गई। और तारीख पर न जाने के चलते दूसरे आरोपी भोपाल सिंह ( Bhopal Singh ) के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया गया। और काफी दिनों तक कोर्ट ( Court ) में पेश न होने पर पुलिस ( Police ) ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।
Muzaffarnagar News in Hindi – मुकदमे की सुनवाई के समय आरोपी ( Aropi ) शरमानंद की मौत हो गई। और तारीख पर न जाने के चलते दूसरे आरोपी भोपाल सिंह ( Bhopal Singh ) के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया गया। और काफी दिनों तक कोर्ट ( Court ) में पेश न होने पर पुलिस ( Police ) ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।
साक्ष्य के अभाव में Court ने किया बरी
Muzaffarnagar से प्राप्त रिपोर्ट अनुसार बचाव पक्ष के Advocate संदीप कुमार त्यागी ने बताया कि घटना के मुकदमे ( Case ) की सुनवाई एडीजे-10 कमलापति की कोर्ट में हुई। और सुनवाई के समय वादी मुकदमा व चश्मदीद विनोद ने Court में साफ कहा कि उसने भोपाल शर्मा ( Bhopal Sharma ) को उसके भाई राकेश की हत्या करते नहीं देखा। और वह उस समय मौके पर मौजूद भी नहीं था। और इसके बाद कोर्ट ( Court ) ने उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया।
और अन्य गवाहों ने भी बुजुर्ग भोपाल ( Bhopal ) की इस हत्या में संलिप्तता होने से इंकार किया। और इस पर कोर्ट ने साक्ष्य ( Evidence ) के अभाव में भोपाल शर्मा को 8 अप्रैल 2022 को बरी कर दिया।
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16 वर्ष अदालत की भागदौड़ ने तोड़ा
Muzaffarnagar से खास खबर – बरी होने के बाद भोपाल शर्मा को कोर्ट के आदेश ( Order ) पर जेल से रिहा कर दिया गया। और भोपाल सिंह ने कहा कि बरी होने के बाद रिहाई से उसका विश्वास kanoon पर बना है। मगर, कानूनी व्यवस्था ने उसे कहीं का न छोड़ा।
वह बिना मतलब झूठी नामजदगी Case और उसके बाद 2006 से 16 वर्ष तक उसे कोर्ट ( Court ) के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ा। और उसका रोजगार End हो गया। जब वह जेल गया, तो तनाव में पत्नी ( Wife ) को ब्रेन हेमरेज हो गया। और Court में पैरवी के चक्कर में बेटे की नौकरी छूट गई।